32k 64k 128k sim , 128k sim contacts capacity

मोबाइल सिमकार्ड पर 32k 64k 128k क्यों लिखा होता है?

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मोबाइल सिमकार्ड पर लिखे 32k 64k 128k नंबर का क्या मतलब होता है?

जैसा की आप सभी को पता होगा की सिम कार्ड हमारे नंबर्स और अन्य डिटेल्स को स्टोर करने के लिए होते है। लेकिन उनके अलग अलग प्रकार भी होते है जैसे 32K 64K 128K तो आज हम इसी चीज़ को समझेंगे कि वो क्या दर्शाते है और उसका क्या मतलब होता है।

अगर आप किसी भी प्रकार सिम का इस्तेमाल करते है तो आपको बता दू की इससे कालिंग क्वालिटी पर कुछ असर नही होता है।

32k में 32 किलोबाइट्स, 64k में 64 किलोबाइट्स या 128k सिम कार्ड में 128 किलोबाइट्स की स्टोरेज क्षमता होती है संपर्क संदेश या अन्य विवरण को स्टोर करने के लिए।

हमारे सिम कार्ड में एक ऑथेंटिकेशन की (key)भी होता है जो सर्विस प्रोवाइडर द्वारा सब्सक्राइबर को ऑथेंटिकेट करता है जैसे कि उसका सिमकार्ड किस एरिया के किस टावर से कनेक्टेड है और किसी किसी फ़ोन में ये डिस्प्ले भी होता है और सब्सक्राइबर को IMSI या उनका मोबाइल नंबर प्रोवाइड कराते है।

अब इन सिमकार्ड में क्या अलग होता है ये भी समझ लेते है। आप लोगो को तो पता ही है की हमारे फ़ोन में एक छोटा सा मेमोरी कार्ड होता है जो हमारे डाटा को स्टोर रखता है। इसी तरह 32K , 64K और 128K सिमकार्ड की स्टोरेज कैपेसिटी समझ लेते है।

सबसे पहले 32K सिमकार्ड की मेमोरी कैपेसिटी समझ लेते है। इसमें 250 संपर्क, 20 संदेश, 32 gsm पसंदीदा नेटवर्क स्लॉट और फिक्स्ड नंबर डायलिंग मोड के लिए 25 प्रविष्टियाँ आ सकती है।

बात करे 64k सिमकार्ड की तो इसमें 500 संपर्कं, 30 एसएमएस मेमोरी कैपेसिटी, 85 gsm पसंदीदा नेटवर्क स्लॉट और फिक्स्ड नंबर डायलिंग मोड के लिये 25 प्रविष्टियाँ आ सकती है।

128k sim contacts capacity

आखिर में बात करे 128K सिमकार्ड की तो ये एक एडवांस ऑपरेटर द्वारा ऑफर की जाती है। इस तरह के सिमकार्ड कॉन्टेक्ट्स बैक अप और एक्सटर्नल कंप्यूटर सिंक्रोनिसशन, जिससे की आपका डाटा सेव रहे जैसे फीचर्स सपोर्ट करता है। इसके अलावा 128K सिम कार्ड 600 कॉन्टेक्ट्स के लिए मेमोरी सपोर्ट करता है और सबसे जरुरी बात ये की इन सब प्रकार में सिर्फ 128K वाला सिम कार्ड ही 4G सपोर्ट करता है। इसी वजह से कंपनी वाले 4G के लिए आपको 128K वाला नया सिम कार्ड देते है।

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सिमकार्ड के पीछे कुछ नंम्बर लिखें होते हैं, इनका क्या मतलब होता है?

सिम कार्ड के पीछे लिखा हुआ नंबर 19-20 अंको का होता है और उसके साथ कुछ अंग्रेजी का एक वर्णमाला भी होता है। इस नंबर समूह को ICID नंबर कहते है।

ICID नंबर 5 समूह से बना होता है।

छायाचित्र स्रोत : स्वयं द्वारा बनाई गई

  1. मेजर इंडस्ट्री आइडेंटिफायर नंबर।
    1. यह दो अंको का होता है, यह बताता है की नंबर किस तरह के उधोग को जारी किया गया है।
    2. सिम टेलीकॉम उधोग से जुड़ा है और इस उधोग का कोड है 89 है। सारे सिम में ये कॉमन है।
  2. देश कोड
    1. यह बताता है की सिम कार्ड किस देश का है। यह 1 से 3 अंको तक की संख्या होती है।
    2. भारत का कोड 91 है।
  3. इस्सुएर (Issuer) आइडेंटिफायर
    1. ये 1 से 4 अंको तक की संख्या हो सकती है।
    2. बात करे भारत की तो हमारे यहाँ यह 2 अंको की संख्या होती है।
    3. इसे भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) जारी करता है।
  4. खाता संख्या
    1. यह संख्या ग्राहक की जानकारी रखता है। इस संख्या की मदद से ग्राहक की जानकारी कंपनिया रखती है।
    2. भारत में यह संख्या 12 या 13 अंको की होती है।
    3. इसी संख्या के आधार पर आपकी 10 अंको का मोबाइल नंबर बनता है।
  5. चेक सम
    1. यह १ अंको की संख्या होती है।
    2. सिम कार्ड के सभी अंको पर लुहँ अल्गोरिथम[1] लगाकर इसे प्राप्त किया जाता है।
    3. कुछ कंपनिया इसे सिम कार्ड पर लिखती है, कुछ नहीं लिखती।

इन पांच ग्रुप के अलावा सिम कार्ड पर एक-दो और संख्याएँ हो सकती है।

उदाहरण के लिए, U है तो यूनिवर्सल, यानि यह सिम 2G, 3G, 4G सारे नेटवर्क पर चलेगा।

अगर H है तो यह कुछ नेटवर्क पर ही काम करेगा।


मान लीजिये सिम के पीछे कुछ ऐसा नंबर है : 89, 91, 66, 0000628086269, 1, U

इसका मतलब है:

89 = टेलीकॉम उधोग का कोड

91 = भारत का कोड

66 = TRAI द्वारा दिया गया कोड

0000628086269 = ग्राहक पहचान संख्या

1 = 8991660000628086269 इस संख्या पर लुहं अल्गोरिथम करके प्राप्त किया गया।

U = यूनिवर्सल

नोट– अपनी ICID नंबर कभी भी शेयर न करे। इस नंबर का इस्तेमाल करके आपका नाम का नया सिम और वही मोबाइल नंबर कोई और ले सकता है।

जब मोबाइल में सिम और ‌‌‌‌‌‌सिग्नल नहीं होते, तब उसमें इमरजेंसी काॅल कैसे लगती है?

बिना नेटवर्क के इमरजेंसी काॅल कैसे लगती है?

आजकल फीचर फोन या स्मार्टफोन में किसी भी देश या रीजन के हिसाब से इमरजेंसी नंबर फीड होते हैं। जैसे 112, 911

जैसे ही आप इमरजेंसी नंबर डायल करते हैं तुरंत नजदीकी टावर से फ़ोन कनेक्ट होकर आपके काल को आगे भेज देता है |

इस नंबर को सपोर्ट करने के लिए फोन में और नेटवर्क ऑपरेटर के पास पहले से ही प्रोविजन होता है जिसके लिए सिम की आवश्यकता नहीं होती है।

फोन में नेटवर्क न होने के बावजूद यूजर जब कोई इमरजेंसी नंबर डॉयल करता है तो मोबाइल से सिग्नल निकलकर किसी न किसी कंपनी के टॉवर पर पहुंच जाता है। यहां जरूरी नहीं है कि आप जिस कंपनी के उपभोक्ता है उसी के टॉवर पर इमरजेंसी कॉल का सिग्नल पहुंचे। सभी टेलिकॉम कंपनियों आपताकाल में एक-दूसरे के टॉवर से इमरजेंसी कॉल को रिसीवर तक पहुंचा देती है।

जब हम इमरजेंसी नंबर को डायल करते हैं तो यह कॉल इमरजेंसी कॉल सेंटर में जाती है। वह समस्या को सुनकर उसके समाधान के लिए संबंधित विभाग को संदेश प्रेषित करते हैं इस तरीके से हमें सुविधा मिल जाती है।

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