हार्ट अटैक कब आता है
हार्ट अटैक कब आता है, हार्ट अटैक दो कारणों से आता है।
- एक कोलेस्ट्रोल के ब्लॉकेज की वजह से।
- दूसरा ह्रदय पर क्षमता से जायदा जोर डालने से।
आज कल अधिकाश हार्ट अटैक दूसरे या दूसरे और पहले की मिली जुली वजह से आ रहे हैं।
यदि आपको शारीरिक श्रम करने की आदत नहीं है तो आपका ह्रदय कमजोर हो सकता है। ऐसे में अचानक से की गई भागदौड़ की गतिविधि हार्ट अटैक का कारण बन सकती है। बिना उच्च कोलेस्ट्रॉल के भी हार्ट अटैक आ सकता है ।
अपनी फिटनेस कुछ महीने तक रोजाना धीमे धीमे वॉक या जॉगिंग करके बढ़ाए!
यदि थोड़ा सा भागने दौड़ने में सांसे फूल रही हैं तो यह आपको इशारा है की हार्ट कमजोर है।
सर्दियों में कम पानी पीने से या गर्मियों में ज्यादा पसीना निकलने से रक्त गाढ़ा हो जाता है और उसकी ह्रदय तक ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम हो जाती है।
जो की किसी असामान्य गतिविधि में हार्ट अटैक का कारण बन सकती है। कृपया ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह जानकारी शेयर करें।🙏🙏
Heart attack ke liye tablet
हार्ट अटैक के लिए टेबलेट कौन सी है आइये जानते हैं , हार्ट अटैक के लिए टेबलेट हार्ट सेफ ऐट 5mg/50mg टैबलेट है जिसे खाने के साथ या बिना खाना खाए भी लिया जा सकता है. इसे हर रोज एक ही समय पर लें. डॉक्टर इसे जब तक लेने की सलाह देते हैं, तब तक इसे लेते रहें.
हार्ट अटैक के दौरान कौन सी गोली दी जाती है?
आपातकालीन चिकित्सा प्रदाता आपको तुरंत एस्पिरिन दे सकते हैं। क्लॉट बस्टर्स (थ्रोम्बोलाइटिक्स या फाइब्रिनोलिटिक्स) । ये दवाएं उन रक्त के थक्कों को तोड़ने में मदद करती हैं जो हृदय में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर रहे हैं।
heart attack ke liye yoga
- 1 चक्रासन इस आसन को नियमित करने से दिल से जुड़ी बीमारियों में लाभ मिलता है। साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
- 2 धनुरासन यह आसन हार्ट डिजीज और हार्ट अटैक से राहत दिलाने में प्रभावी है।
- 3 भुजंगासन इस आसन को दिल की बीमारी में राहत पाने के लिए किया जाता है।
हार्ट अटैक के लिए कौन सा योग करें?
- आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे योगासन के बारे में जिन्हें रेगुलर करने से हार्ट अटैक का खतरा बहुत कम हो जाएगा.
- भुजंगासन: Bhujangasana. इसे कोबरा पोज़ के नाम से भी जाना जाता है. …
- गोमुखासन: Gomukhasana. …
- मलासन: Malasana. …
- ताड़ासन या माउंटेन पोज: Tadasan. …
- ब्रिज पोज़: Bridge Pose. …
- पश्चिमोत्तानासन: Paschimottasana.
हार्ट अटैक के लक्षण कैसे जानें?
एक भुक्तभोगी के रूप में मैं अपना अनुभव बाँटता हूँ।
शनिवार १२ जनवरी २०१९, मेरी पत्नी हमारे पुत्र के विवाह की तैयारियों के लिए भारत आई हुई थी। मैं इस सुबह उठा और मेरे और हमारी पुत्री के लिए पोहे का नाश्ता बनाया। फिर हमारे मछली-कुण्ड (एक्वेरियम) में दाना डालते हुए देखता हूँ कि उसमें जो सबसे बड़ी मछली थी वह मर चुकी थी। बिटिया का मन दुखी न हो तो चुपके से उसे पिछवाड़े की क्यारी में दफ़न भी कर दिया।
बिटिया को आवाज दे उसके साथ नाश्ता किया और इसके साथ ही मुझे ऐसा लगा कि पेट में आफ़रा चढ़ा हो, पेट और सीने में तनाव और जकड़न महसूस होने लगी और कुछ पसीना आने लगा।
कुछ देर वज्रासन में बैठने पर भी कोई राहत न मिली तो लेट गया। तब तक बेटी ने इन लक्षणों के आधार पर इंटरनेट खंगालना आरम्भ किया। मुझे इन लक्षणों के अतिरिक्त सभी कुछ सामान्य ही लग रहा था। फिर भी लगभग २०-२५ मिनट यही स्थिति रही तो मैंने चिकित्सक सेवा का नम्बर लगाया। नीदरलैंड में सामान्य चिकित्सा सेवाएं सप्ताह में सोमवार से शुक्रवार तक प्रातः ८:३० से अपराह्न ४:३० तक ही सीमित हैं। इसके उपरान्त परामर्श के लिए चिकित्सक सेवा और आपातकालीन सेवा (११२) ही विकल्प हैं। मुझे असहज लग रहा था किन्तु बोलने, चलने में परेशानी न थी अतः सामान्य चिकित्सक सेवा का चयन किया।
लगभग २०-२५ मिनट में सहचिकित्सक (paramedics) घर तक पहुँच गए। उन्होंने मेरे लक्षणों के आधार पर मेरा परीक्षण किया। मेरा रक्तचाप बहुत अधिक था किन्तु मुझे चलने फिरने, बातचीत में कोई असुविधा न थी। उन्होंने मेरे हाथों को विभिन्न स्थितियों में रखवा कर पूछा कि उसमें मुझे कुछ असुविधा हो रही है, मुझे चलवा कर भी देखा। फिर पूछा
— “क्या आप जानते हैं कि आप उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं?”
— “हाँ! मुझे ज्ञात है!”
— “आप इसकी कोई दवा ले रहे हैं?”
— “नही! मेरे पारिवारिक चिकित्सक ने इसकी समस्त जाँच कुछ ही महीनों पूर्व की थी, उनके अनुसार मेरे स्वास्थ्य पर इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं हो रहा है, अतः मुझे इसकी कोई दवा नहीं लिखी गई है।”
— “इस स्थिति में आप अपने पारिवारिक चिकित्सक से सोमवार को परामर्श कर दवा लिखवा लें।”
— “किन्तु मुझे अभी भी बहुत परेशानी हो रही है, आप इस स्थिति में मुझे क्या सलाह देंगी?”
— “ऐसा करिए आप एक पैरासिटामोल लेकर सो जाईए!”
यह कह उन्होंने विदा ली। मेरी बेटी ने मुझे पैरासिटामोल दी और मैं सो गया। छह घंटे बाद मैं उठा तो सभी सामान्य लगा।
रविवार को सप्ताह भर के लिए आवश्यक खरीदारी की। और सोमवार को मैंने अपने पारिवारिक चिकित्सक से परामर्श के लिए कॉल किया। वह उपलब्ध नहीं थीं अतः मंगलवार को उनके एक वैकल्पिक चिकित्सक से परामर्श करना तय हुआ।
मंगलवार को मैं वैकल्पिक चिकित्सक से परामर्श करने गया। उन्होंने मेरा रक्तचाप मापा और उसे सामान्य से कुछ अधिक पाया। वह मुझे कुछ दवा देकर विदा करना चाहते थे, कि मेरा भारतीय रूप जागृत हो गया। मैंने उन्हें कहा कि शनिवार को मेरी जो स्थिति थी वैसी मुझे जीवन में कभी भी महसूस नहीं हुई। उसका कारण क्या हो सकता है? झिझकते हुए उन्होंने मुझे ई॰सी॰जी॰ करवाने का निर्देश दिया।
ई॰सी॰जी॰ करवाने के लिए केन्द्र लगभग ५०० मीटर दूर था। वहाँ पैदल चल कर गया और तीन घंटे बाद का अपॉइंटमेंट था तो वहाँ से एक किलोमीटर दूर बाल कटवाने पैदल गया और फिर वहाँ से दो किलोमीटर चलकर घर आया! तैयार होकर ई॰सी॰जी॰ करवाया। उसके बाद मुझे १५ मिनट कार्डियोलॉजिस्ट की रिपोर्ट के लिए इन्तज़ार करने का निर्देश मिला।
दो मिनट भी नहीं बीते कि कार्डियोलॉजिस्ट दौड़ती हुई बाहर आईं। कहने लगी— “आपको तुरन्त अस्पताल में भर्ती होना होगा। क्या अभी आपके साथ कोई आया है?”— “नहीं! मुझे क्या हुआ है! आज सुबह से अब तक मजे से पाँच-छह किलोमीटर चल चुका हूँ।”— “आपको एक भारी हृदयाघात आ चुका है। आपको त्वरित चिकित्सा की आवश्यकता है। इसके बिना आपका हृदय किसी भी समय रुक सकता है। और मैं यह जोखिम नहीं लेना चाहती।”
इसके बाद वह सब देखा जिसकी एक विकसित देश में आशा की जा सकती है। एंजियोप्लास्टी और दवाओं एवं योग-प्राणायाम से लगभग सब सामान्य है।
अतः मेरे अपने अनुभव के आधार पर
— मैं स्वयं हृदयाघात के लक्षण नहीं पहचान सका।
— हृदयाघात के दौरान आए पराचिकित्सक भी रक्तचाप माप कर तथा उनके पास उपलब्ध उपकरणों से भी हृदयाघात का पता नहीं लगा पाए।
— सामान्य चिकित्सक भी हृदयाघात की सम्भावना नहीं समझ पाए।
— ई॰सी॰जी॰ से ही हृदयाघात होने का पता चल पाया।
अतः यदि आप कुछ असहज महसूस कर रहे हैं तो निश्चित रूप से आप इस बारे में तुरन्त चिकित्सक से परामर्श करें और आपातकालीन चिकित्सा सुविधा लेने से न हिचकें।
एक बात और …
मैं शगुन और अपशगुन में विश्वास अब भी नहीं करता। अतः आपके अपने मछली के मरने पर आपातकालीन चिकित्सा सेवा को न बुलाएं क्योकिं ये महत्वपूर्ण सेवा है इसको आवश्यक होने पर ही कॉल करें ।
कितने साल की उम्र में हार्ट अटैक आता है?
जहां पुरुषों में 45 साल की उम्र के बाद वहीं महिलाओं में 55 की उम्र के बाद हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. लेकिन 45 की उम्र के बाद ज्यादा एक्सरसाइज करना भी दिल की बीमारियों का एक बड़ा फैक्टर है.
हार्ट अटैक क्यों और कैसे आता है?
सबसे पहले हार्ट अटैक क्या होता है ये जान लेते हैं।
हार्ट अटैक का मतलब होता है “दिल के किसी हिस्से में आवश्यकता से कम रक्त पहुँच रहा है और जिसके कारण उस हिस्से के ऊतकों की मृत्यु होना प्रारंभ हो चुकी है”
हार्ट अटैक कैसे आता है इसके लिए हमें दिल का रक्त संचार समझना होगा
दिल को रक्त पहुँचाने का कार्य दो धमनियाँ करती हैं इनको कोरोनरी आर्टरी कहते हैं। एक right और एक left coronary artery दिल को रक्त पहुँचाती हैं और आगे ये छोटी छोटी शाखाओं में बँटकर पूरे हृदय को रक्त पहुँचाती हैं। कुछ इस चित्र की तरह:
Credit: चित्र गूगल से प्राप्त है।
जब इन कोरोनरी धमनियों में या कोरोनरी धमनियों की किसी शाखा का 75% से अधिक भाग अवरुद्ध हो जाता है तब जाकर हृदय के उस क्षेत्री रक्त संचार इतना कम होता है कि वहाँ के ऊतकों की मृत्यु होने लगती है।
धमनियों के अवरोध का कारण इन धमनियों की दीवारों पर वसा का चिपकना होता है जिसको ATHEROSCLEROSIS कहते हैं, इस वसा के कारण जो रक्त पहले एकLaminar flow में बह रहा होता है वो अब Turbulent flow में आ जाता है और वहाँ पर रक्त कोशिकाओं का खंडन होता रहता है इस कारण रक्त में थोड़ा ठहराव सा आने लगता है जिसके कारण रक्त संचार कम होने लगता है। और जब ये atherosclerosis का वसा साइज़ में इतना बड़ा हो जाता है कि ये धमनी को 75% तक अवरुद्ध कर दें तब रक्त संचार एकदम नगण्य हो जाता है।
और अब हृदयघात के कारण:
हृदयघात कैसे होता है ये हमने जान लिया अब कुछ ऐसे कारणों को जानते हैं जिनके कारण किसी व्यक्ति में हृदयघात होने के ख़तरे बढ़ जाते हैं:
- पुरुष होना
- बढ़ती हुई उम्र
- अत्यधिक मोटापा
- उच्च रक्तचाप
- डायबिटीज़
- धूम्रपान की आदत
- स्टीरॉइड्स का अत्यधिक इस्तेमाल’
सबसे ज्यादा हार्ट अटैक बाथरूम में ही क्यों आते हैं?
अक्सर ऐसा सुनने में आता है कि किसी को बाथरूम में हृदयघात आ गया या कार्डियक अरेस्ट हो गया।ऐसे हृदयघात ( हार्ट अटैच) कभी भी और कहीं भी आता है, पर बाथरूम में ऐसा होने की ज्यादा घटनाएं सामने आती हैं।हृदयघात सुबह के समय बाथरूम के अंदर आते हैं। कई नामचीन लोगों की भी इसी तरह से मृत्यु हो चुकी है। आखिर क्या कारण है कि बाथरूम में ही लोगों को हृदयाघात (हार्ट अटैक) ज्यादा आता है। जानते हैं इसके बारे में कि बाथरूम से हार्ट अटैक आने का क्या संबंध है?
चित्र गूगल से।1.कार्डियक अरेस्ट हो या फिर हृदयाघात (हार्ट अटैक) , दोनों का संबंध हमारे रक्त संचार (ब्लड सर्कुलेशन) से होता है।2.रक्त रंचार (ब्लड सर्कुलेशन) का सीधा असर हमारे हृदय पर होता है।3. रक्त का संचार (ब्लड सर्कुलेशन) हृदय से ही (हार्ट) नियंत्रित होता है, जिससे हमारे शरीर की गतिविधियां सुचारू रूप से संचालित होती रहे। और शरीर का प्रत्येक अंग सुचारू रुप से कार्य करते हैं।4. दरअसल, जब हम बाथरूम की टॉयलेट सीट पर बैठ कर जब ज्यादा दबाव डालते हैं तो उसका असर सीधा रक्त रंचार हमारे (ब्लड सर्कुलेशन) पर पड़ता है। इस दबाव से हृदय की धमनियों पर दबाव बढ़ता है, जो हार्ट अटैक या फिर कार्डियक अरेस्ट की वजह बन जाता है।
5.बाथरूम का तापमान हमारे घर के अन्य कमरों के तुलना में अधिक ठंडा रहता है. यहां पानी का प्रवाह (फ्लो) बार-बार होता रहता है। ऐसी स्थिति में शरीर के तापमान को संतुलित करने और रक्त के संचार को बनाए रखने के लिए हमारे हृदय को अधिक श्रम करनी पड़ती है।हृदयघात ( हार्ट अटैक) होने का यह एक बड़ा कारण होता है।6. बाथरुम में कोई कार्य नहीं होने के कारण मस्तिष्क ज्यादा सोचना शुरू कर देता है। परिणामस्वरूप कभी-कभी तनाव अपने चरम पर होता है और हृदयघात होता है।हृदयघात ( हार्ट अटैक) से बचने के उपाय -1. . कई बार नहाने के दौरान हार्ट अटैक आ जाता है। नहाने को लेकर डॉक्टर सलाह देते हैं कि बाथरूम जाते ही पहले अपने तलबों पर हल्का गुनगुना पानी धीरे-धीरे डालें, इसके बाद धीरे-धीरे शॉवर लें।2. यदि आपने ऐसा नहीं किया और सीधा सिर पर ठंडा पानी डाला तो इसका नकारात्मक असर रक्त संचार पर पड़ता है। जिन्हें हृदय रोग हो, उन्हें इससे बचना चाहिए।3. सीधे सिर पर पानी डालने से कई बार व्यक्ति की दिल की गति, धड़कन एकदम से रुक जाती है। अगर आप अपने शरीर पर अचानक से गर्म या अधिक ठंडा पानी डालते हैं, तो इससे रक्त रंचार (ब्लड सर्कुलेशन) पर दबाव पड़ता है। अतः ऐसा करनें से बचें।4. किंतु यदि आप पहले पैरों पर धीरे-धीरे पानी डालते हैं, तो इससे रक्त रंचार (ब्लड सर्कुलेशन) पर सीधा असर नहीं पड़ता। वास्तव में अचानक से ठंडा पानी सिर में डालने से मस्तिष्क एकदम से सन्न रह जाता है और वो हृदय को संदेश नहीं भेज पाता। परिणामस्वरूप हृदयाघात आता है। इसलिए बाथरूम में इन बातों को ख्याल रखना चाहिए।देर तक बाथरूम में बैठना, शरीर को साफ करने में ज्यादा दबाव लगाना, दोनों पैरों के सहारे ज्यादा देर तक बैठे रहना, जल्दबाजी में नहाना, बाथटब में ज्यादा बैठे रहना अनुचित है, क्योंकि ऐसा करने से धमनियों पर दबाव पड़ता है। इन सब का हार्ट पर असर पड़ता है। यह रक्त के प्रवाह को प्रभावित करते हुए धमनियों पर दबाव बढ़ा देता है। इससे हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट की परेशानी होती है।
हार्ट प्रॉब्लम की दवा बताइए?
हृदय की बीमारियों के इलाज के लिए कई अलग-अलग दवाएं उपयोग की जाती हैं, लेकिन वे सभी कुछ मुख्य समूहों से संबंधित हैं, जिनमें शामिल हैं: रामिप्रिल जैसे एसीई अवरोधक । लोसार्टन जैसे एंजियोटेंसिन-II प्रतिपक्षी । अमियोडेरोन जैसी अतालतारोधी दवाएं
अतः हम कह सकते हैं की दिल को दौरा तभी पड़ता है जब धमनियों में रुकावट आती है (Atherosclerosis) और रुकावट तभी आती है जब प्लाक (Plaque) नसों में जम जाता है और जब ये प्लाक टूटता है तो खून का थक्का (Blood Clot) बन जाता है जिस के कारण रक्त की पूर्ति नहीं हो पाती जिससे हार्ट मसल्स को प्रभाव पड़ता है और आगे जाकर हार्ट अटैक की स्थिति बन जाती है