तांबे के बर्तन में पानी क्यों फायदेमंद है?
आजकल डॉक्टर और घरों का दाल रोटी जैसा सम्बन्ध हो गया । प्रत्येक घर में किसी ना किसी की दवाइयां चलती रहती है। पहले जहाँ घर में बर्तन सजते थे ,वहां दवाइयों की शीशियां पड़ी रहती हैं।
जिस घर में तांबे के बर्तन का उपयोग होता है , वहां डॉक्टर कम ही आते है या बिलकुल भी नहीं आते। आप हैरान रह जाओगे इसके गुण जानकर। तांबे के बर्तन में पानी पीने के चमत्कारिक परिणाम हैं।
पुराने समय में लोग तांबे के बर्तनों का ही इस्तेमाल करते थे , तो वो बीमारियों से बचे रहते थे। असल में तांबे के बर्तन में पानी पीना ही नहीं, भोजन करना बहुत फायदेमंद माना जाता है।
चलिए आज हम आपको बताते हैं कि तांबे के बर्तनों में खाना-पीना क्यों फायदेमंद है। इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें हैं गांठ बांध लेना। यदि आपको अपना घर ,डॉक्टर मुक्त चाहिए।
क्यों फायदेमंद है , तांबे के बर्तन , कारण क्या है ?
तांबे के संपर्क में पानी या खाने वाली कोई चीज आने से उसमें मौजूद कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इसमें पानी पीने या भोजन करने से गठिया और कैंसर जैसी कई बीमारियों का संभावना कम हो जाती है।
कम-से-कम पानी को तांबे के बर्तन में 8 घंटे के लिए रखें और सुबह खाली पेट पीएं , और कुछ दिन बाद चमत्कार देखिये।
तांबे के बर्तन में , पानी पीना क्यों फायदेमंद है ? सही सवाल है
ज्यादातर समस्याओं का कारण है , दूषित पानी । लेकिन तांबे के पानी को स्टरलाइज्ड करके शुद्ध करता है। वहीं, तांबा पानी के साथ मिलकर ऐसी रासायनिक प्रतिक्रिया करता है, जिससे इसमें एंटी-इंफ्लामेंटरी, एंटी-बैक्टीरियल और कैंसररोधी प्रॉपर्टीज पैदा होती हैं। यही कारण है ,ताम्बे के बर्तन में रखा पानी पीने से कई बीमारियां आती ही नहीं।
तांबे के बर्तन में पानी पीने के फायदे
1 – यदि पेट ख़राब रहता है ,तो शरीर बन जाता है बिमारियों का घर
शाम को तांबे के बर्तन में पानी भरकर रख दें और सुबह खाली पेट पीएं। इससे पाचन क्रिया दुरुस्त होगी और आप कब्ज, एसिडिटी , बदहजमी जैसी समस्याओं से भी बचे रहेंगे।
2 – यह थॉयराइड कंट्रोल करता है
ब्लड प्रेशर और बैड कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करता है , और इससे थायरोक्सिन हार्मोन नहीं बढ़ता, जिससे थायराइड कंट्रोल में रहता है।
3 – शरीर की अंदरूनी सफाई करता है , ताम्बे के बर्तन
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर की अंदरूनी सफाई के लिए तांबे का पानी बहुत कारगर होता है। तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से आपके शरीर के विषैले पदार्थ निकल जाते हैं। और आपके चेहरे पर निखार आता है। बुढ़ापे के लक्षण भी नहीं दिखाई देते।
4 – ताम्बे का बर्तन वजन कंट्रोल करता है
तांम्बे मौजूब तत्व पाचन शक्ति / मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने के साथ , पाचन क्रिया को सही रखते हैं। इससे फैट बर्न करने में मदद मिलती है और मोटापा कंट्रोल होता है। शरीर की फालतू चर्बी नहीं बढ़ती। शरीर तंदरुस्त रहता है ।
5 – ताम्बा खून की कमी को पूरा करता है
कॉपर खाने से आयरन को आसानी से सोखकर शरीर में खून की कमी को पूरा करता है। इससे एनिमिया से निपटने में मदद मिलती है। और यदि तांबे के बर्तन में पानी पिया जाए तो पर्याप्त मात्रा में , शरीर में कॉपर की सही मात्रा रहती है।
तांबे के बर्तन की एक सावधानी
तांबे के बर्तन में खट्टे / सिट्रिक फूड्स जैसे आचार, दहीं, दूध, नींबू का रस और छाछ नहीं रखने चाहिए। तांबे के गुण खट्टी चीजों के साथ गलत प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे घबराहट, जी मचलाना हो सकती है। ये सावधानी जरूरी है।
ताम्बें का बर्तन थोड़ा परख कर लीजिए
पीछे महाशिवरात्रि को हम हरिद्वार गए थे , वहां से ताम्बे का लोटा लिया था ,15 दिन बाद उसकी पोलिश निकल गयी। नकली दे दिया हमको। बहुत बड़े शोरूम से खरीदा था , इसलिए हमने ज्यादा जाँच परख भी नहीं की। इसलिए खरीददारी में सावधानी बरतें। जय श्री राधे
तांबे के बर्तन आजकल जगह जगह मिल जाते हैं , थोड़ा परख कर लीजिए , असली लीजिए तभी फायदा होगा। यदि आपके पास बाजार जाने का समय नहीं , बर्तन की परख नहीं तो ऑनलाइन सस्ता भी है। यहाँ से खरीदें
copper ke bartan ke fayde
घावों को तेजी से भरने में, वजन को घटाने में, पाचन में सुधार करने के लिए, हाई ब्लड प्रेशर, बेड कोलेस्ट्रॉल, थायराइड ग्रंथि के कामकाज को नियंत्रित करने, त्वचा के स्वास्थ्य और मेलेनिन उत्पादन को बढ़ाने और रोगाणुरोधी संक्रमण से लड़ने में तांबे के बर्तन में रखा पानी काफी लाभकारी है।
Copper के बर्तन में क्या नहीं खाना चाहिए?
Copper के बर्तन में क्या नहीं खाना चाहिए? ताम्बे के बर्तन में कभी भी अम्लीय द्रव्य, सिट्रिक फूड्स , आचार, दूध व छाछ नहीं पीना चाहिए . आयुर्वेद के मुताबिक तांबे के बर्तन में रखा दूध मट्ठा ताम्बे से प्रतिक्रिया करके नुकसानदायक हो जाता है |
तांबे के बर्तन में पानी कब नहीं पीना चाहिए?
जिनके पेट में अल्सर की समस्या हो, उन्हें ताम्बे के बर्तन में पानी को नहीं पीना चाहिए.
क्या नींबू के साथ तांबे का पानी पी सकते हैं?
क्या नींबू के साथ तांबे का पानी पी सकते हैं?
सुबह खाली पेट नींबू और शहद पीना लाभकारक है लेकिनन नीम्बू पानी को तांबे के गिलास में नहीं पीना चाहिए । नींबू में पाया जाने वाला एसिड तांबे के बर्तन के साथ प्रतिक्रिया करता है इसलिए कॉपर के बर्तन में एसिड वाली चीजे नहीं पीनी चाहिए । इससे पेट दर्द, पेट में गैस और उल्टी भी हो सकती |
तांबे का लोटा कितने रुपए का मिलता है?
तांबे का लोटा कितने रुपए का मिलता है?
तांबे का लोटा 100 से 2,000 रुपये तक में मिल जाते हैं। तांबे के लोटे की कीमत उसके साइज पर डिपेंड करती है |
तांबे की कमी से शरीर में कौन सा रोग होता है?
कॉपर की कमी से आंखों की रोशनी हो सकती है , बालों समय से पहले ही सफेद हो जायेंगे , हड्डियों का विकाश रुक सकता है , सर के बाल और स्किन पिग्मेंट में कमी जैसी समस्या भी हो सकती है. कॉपर की कमी से एटैक्सिया (Ataxia) हो सकता है. इसमें शरीर की गतिविधियों पर नियंत्रण नहीं रह पाता है. मस्तिष्क पर आघात हो सकता है |
तांबे (कॉपर) के बर्तन में रात भर पानी रखो फिर उसे रोज सुबह उठते ही पीया करो…
यह नसीहत देने वाले बहुत मिल जाएंगे। मगर…
टर्म्स एंड कंडीशंस अप्लाई कौन बताएगा?
चलो हम बता देते हैं।
रात भर तांबे (कॉपर) के संपर्क में रहने से तांबे का कुछ अंश पानी में चला जाता है जो एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए और भी फायदेमेंद होता है। मगर यही पानी अगर एक मधुमेह वाला पी ले तो उसके लिए यह नुकसानदेह होता है।
कैसे?
उस पानी में मौजूद कॉपर कोशिकाओं के अंदर पहुंचकर नई ब्लड वेसल्स बनने की प्रक्रिया जिसे ‘एंजियोजेनेसिस’ कहते हैं उसे रोक देता है। इसके अलावा ब्लड वेसेल्स की फ्लेक्सिबिलिटी को खत्म कर देता है, उनको लीकी बना देता है और उनके अंदर प्लेक जमने की प्रवृत्ति बढ़ा देता है। बोले तो चौतरफा वार…
इन सबका परिणाम क्या हो सकता है?
मधुमेह वाला व्यक्ति को हार्ट अटैक आ सकता है। उसे पैरालिसिस हो सकता है जिसके कारण उसे अपना कोई हाथ या पैर खोना पड़ सकता है या फिर उसे घाव ना भरने की समस्या आ सकती है।
वैसे तो एंजियोजेनेसिस के लिए कॉपर आवश्यक है मगर कॉपर की अधिकता में यह प्रोसेस रुक जाती है।
एक होता है ATP7A… ये कुली का काम करता है। कोशिका के अंदर कॉपर कम है तो बाहर से कॉपर अंदर ले आएगा और अगर किसी भी वजह से कोशिका के अंदर कॉपर ज्यादा हो गया तो बाहर छोड़ आएगा।
मगर डाईबेटिक लोगों में ये ATP7A नामक कुली कम होता है। इसकी कमी के कारण कोशिका के अंदर कॉपर इकट्ठा होने पर यह बाहर नहीं ले जाया जा सकता और इसके कारण एंजियोजेनेसिस की प्रोसेस रुक जाती है।
इसलिए बेहतर होगा कि मधुमेह वाले लोग जिनके अंदर ये ATP7A नामक कुली का पहले से ही अभाव है, कॉपर का बहुत ज्यादा इस्तेमाल ना ही करें। वरना अधिक कॉपर को बाहर तक छोड़कर कौन आएगा?
वैसे कॉपर कम होने पर भी आयरन का अपटेक कम होता है और एनीमिया हो जाता है और इसके अलावा कई सारे लक्षण दिखाई देते हैं जिनमें बालों का सफेद होना भी शामिल है। इसलिए कॉपर का बैलेंस बहुत जरूरी है और थोड़ा सोच समझकर ही कॉपर का इंटेक बढ़ाना चाहिए। ये नहीं कि किसी ने कह दिया और आप लग गए पानी पीने तांबे के बर्तन में रख रखकर।