नियमित उपवास करे। हम सभी के शरीर में कैंसर की कोशिकाएं होती हैं, जिनको शरीर स्वयं नष्ट करता है उपवास करने से यह गतिविधि जिसको ऑटो-फैगी के नाम से जाना जाता है, यह गतिविधि बढ़ जाती है। किंतु इस उपवास को धार्मिक उपवास की तरह ना समझें।
जापान के प्रसिद्ध कैंसर विशेषज्ञ वैज्ञानिक जिनको अपनी रिसर्च के लिए नोबेल पुरस्कार 2016 में मिला था। उन्होंने अपने रिसर्च में यह पाया, खाने में 12 घंटे का अंतराल नियमित रूप से रखने और हर 15 दिन में एक बार 24 घंटे बिना खाए रहने से ऑटो-फैगी की प्रक्रिया कैंसर के मरीजों में पुनः शुरू हो जाती है।
इस उपवास के समय अंतराल के बीच केवल पानी पीना उचित है और कुछ नहीं।इस उपवास को भारतीय लोग एकादशी के उपवास की तरह कर सकते हैं। जिसमें कुछ भी खाना वर्जित है |
कैंसर से बचने के लिए कुछ उपाय:
- धूम्रपान छोड़ें। धूम्रपान कैंसर का सबसे बड़ा जोखिम कारक है। यह फेफड़ों, मुंह, गले, पेट, मूत्राशय, और अन्य अंगों के कैंसर का खतरा बढ़ाता है।
- शराब का सेवन सीमित करें। शराब का सेवन फेफड़ों, मुंह, गले, पेट, और स्तन के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
- स्वस्थ वजन बनाए रखें। मोटापा कई प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है, जिनमें स्तन, कोलन, प्रोस्टेट, और पेट के कैंसर शामिल हैं।
- नियमित रूप से व्यायाम करें। व्यायाम कई प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है।
- पौष्टिक आहार खाएं। अपने आहार में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और कम वसा वाले प्रोटीन शामिल करें।
- सूरज की किरणों में बैठें । सूर्य की किरणें सुबह की दिनचर्या में शामिल करें विटामिन डी आपके सरे सरीर को संतुलित करती है
- नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं। कुछ प्रकार के कैंसर का पता लगाने के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाना महत्वपूर्ण है।
विशिष्ट कैंसर के लिए उपाय:
- स्तन कैंसर: अपने स्तनों की नियमित रूप से जांच करें। 40 वर्ष की आयु के बाद, हर दो साल में एक बार मैमोग्राफी करवाएं।
- फेफड़ों का कैंसर: धूम्रपान छोड़ें। यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें कि कैसे आप धूम्रपान छोड़ने के लिए मदद प्राप्त कर सकते हैं।
- कोलोरेक्टल कैंसर: 50 वर्ष की आयु के बाद, हर पांच साल में एक बार कोलोनोस्कोपी करवाएं।
- प्रोस्टेट कैंसर: 50 वर्ष की आयु के बाद, हर चार साल में एक बार प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन (PSA) परीक्षण करवाएं।
कैंसर से बचने के लिए कोई गारंटी नहीं है, लेकिन इन उपायों को अपनाकर आप अपने जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।
कुछ अनसुनी
एक जिसको कैंसर क्या है उसका अंदाज़ा नहीं है। उनके मामा , फूफा या जीजा जी के खानदान में किसी को हुआ और वह सुनी सुनाई बातों का आकलन कर कर लिखते हैं।
दूसरे वाले जरा ज्यादा खरतनाक हैं। उंनको कैंसर के मरीज से कुछ लेना देना नहीं है। उंनको टॉपिक मिला और अपना लिंक या पोस्टर चिपका देते हैं। उनके लिए यह विषय एक वरदान के जैसे है। कहीं मौका छूट न जाए। इसलिए घिसा पीटा लिखेंगे और लिंक लगा देंगे।
मुद्दे पर आते हैं।
देखिए आज के समय में सबको ज्ञान है कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। मैं बहुत उत्तर में देखा लिखें हैं प्रकृति से जुड़ना चाहिए।
सही बोल रहे हैं।
जरा बताइए कैसे जुड़ा जाए ?
कोई मुंबई में रहता है इतना प्रदूषण के अंदर वो प्रकृति से कैसे जुड़े ?
कोई दिल्ली की बदरपुर या जैतपुर में रहता है वो प्रकृति से कैसे जुड़े ?
नौकरी छोड़ छाड़ कर सोलन या लद्दाख चला जाए क्या ?
कितने दिन वहाँ रहेगा , वापस तो आना होगा ?
इसलिए हम लोग यहीँ रह कर कैसे कैंसर से बचें उसपर विचार होनी चाहिए।
देखिए कैंसर तीन तरह से होता है।
एक जो जेनेटिक या कारयोगेनिक केमिकल , पर्यावरण कारक, वायरल संक्रमण, और पारिवारिक इतिहास से होता है। जिसमें आप कुछ नहीं कर सकतें। कब कहाँ किसको कैंसर होगा कोई नहीं बोल सकता।
दूसरी , जो कैंसर को हम दावत देते हैं। जैसे पान, गुटका , शराब , बीड़ी यह सब से होता है। इससे बचा जा सकता है। कहा जाता है कि ओरल और लंग कैंसर ७०% बचाया जा सकता है।
तीसरा , रैंडम किसी को भी हो जाता है। न गुटका पान खाता था। न माँस मछली। न तेल मसाला। योगा और प्राणायाम भी करता था। उसको भी हो जाता है। मैं खुद मुंबई के टाटा हॉस्पिटल में देखा हूँ इतने अछे अछे लोगों को हुआ है जिसका गुटका या मांस मछली से लेना देना नहीं था। इसको तोह मैं भाग्य की बात बोलूंगा।
उस बच्ची का क्या कसूर ?
उसको ब्लड कैंसर हुआ था।
अब वो है कि नहीं वो भी नहीं पता।
मुंबई के जिस आश्रम में हम रहते थे उनमें करीबन दस में से आठ लोग अब नहीं हैं। बहुत दुःख होता है।
और हम यहाँ ज्ञान पे ल ते हैं। जिसका घर उजड़ गया उसको देखिए। किसी की माँ , किसी की बहन, किसी का जवान बेटा , किसी के पापा चले जा रहे हैं। और हम यहाँ प्रकृति और नींबू पानी मे ही रह गए हैं।
बहुत दुःखद 😪
मुझे दूसरा वाला केटेगरी वाला कैंसर हुआ है। जिसको मैं खुद बुलाकर लाया। अच्छा खासा ज़िंदगी चल रहा था।
अचानक हुआ।
संभालने का भी मौका नहीं मिला।
२०१९ में पहली बार हुआ और फिर २०२० में दूसरी बार। मुझे यह कैंसर ऐसा झकझोरा की मैं अपनी ज़िंदगी का एक शिख पा गया।
मैं वही इंग्लिश वाले उत्तर में लिखता हूँ कि मैं जो गलती किया आप लोग मत कीजियेगा। एक बार कैंसर हो गया , सोचिए कि शरीर मे दीमक लग गया। कौन कितना दिन चलेगा कोई नहीं बता सकता।
इसलिए , अपना बचाव कीजिए। कैंसर को आमंत्रित मत कीजिए। बाकी आप लोग समझदार हैं।
क्या खाना चाहिए क्या नहीं आप लोगों को पता है।
चलिए खुश रहिए , मस्त रहिए स्वस्थ रहिए।
आपको या आपके आसापास के लोगों को कैंसर की बीमारी के बारे में पता चलते ही गहरा सदमा लग सकता है। कैंसर जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारी ने लोगों के दिल में डर पैदा कर दिया है। इस बीमारी से बचने के लिए आपको स्वस्थ जीवनशैली जीना बहुत जरूरी है। खाने में पौष्टिक आहार की कमी और अस्वस्थ आदतें कैंसर की बीमारी का खतरा पैदा करती हैं।
हमारे शरीर की सबसे छोटी इकाई कोशिका है। शरीर में 100 से 1000 खरब कोशिकायें अथवा सेल्स होते हैं। हर वक्त ढेरों सेल्स पैदा होते रहते हैं और पुराने व खराब सेल खत्म भी होते रहते हैं। शरीर के किसी भी नॉर्मल टिश्यू में जितने नए सेल्स पैदा होते रहते हैं, उतने ही पुराने सेल्स भी खत्म होते जाते हैं। इस तरह संतुलन बना रहता है। कैंसर में यह संतुलन बिगड़ जाता है। उनमें सेल्स की बेलगाम बढ़ोतरी होती रहती है। गलत लाइफस्टाइल और तंबाकू, शराब जैसी चीजें किसी सेल के जेनेटिक कोड में बदलाव लाकर कैंसर पैदा कर देती हैं। आइए जानें डॉक्टरों की सलाह के अनुसार कैंसर से बचने के लिए क्या करें।
तंबाकू का सेवन ना करें
हमारे देश में कैंसर की मुख्य वजह तंबाकू है। धूम्रपान करने वालों के अलावा उसका धुआं लेने वालों (पैसिव स्मोकर्स) और प्रदूषित हवा में रहनेवालों को भी कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। तंबाकू या पान मसाला चबाने वालों को मुंह का कैंसर ज्यादा होता है। तंबाकू में 45 तरह के कैंसरकारी तत्व पाए जाते हैं। पान-मसाले में स्वाद और सुगंध के लिए दूसरी चीजें मिलाई जाती हैं, जिससे उसमें कार्सिनोजेन्स (कैंसर पैदा करनेवाले तत्व) की तादाद बढ़ जाती है। गुटखा (पान मसाला) चाहे तंबाकू वाला हो या बिना तंबाकू वाला, दोनों नुकसान करता है। हां, तंबाकू वाला गुटखा ज्यादा नुकसानदेह होता है। डॉक्टर अच्छी सेहत के लिए तंबाकू का सेवन न करने की सलाह देते हैं।
एल्कोहल से करें परहेज
डॉक्टरों का कहना है कि यदि आपका आहार सही हो, तो रोजाना एक से दो पैग शराब पीना सेहत के लिहाज से सही है। लेकिन, इससे ज्यादा शराब कैंसर का भी कारण हो सकती है। अधिक शराब पीने से खाने की नली, गले, लिवर और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा हो सकता है। ड्रिंक में अल्कोहल की ज्यादा मात्रा और साथ में तंबाकू का सेवन कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ा देता है। इसलिए कैंसर से बचने के लिए एल्कोहल का सेवन बंद करें।
स्तन कैंसर की जांच
महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे सामान्य कैंसर है। अधिकतर महिलायें इसके लक्षण से अनभिज्ञ रहती हैं, इसलिए यह बीमारी काफी फैल जाती है। इसलिए जरूरी है कि इसकी जांच करवाते रहा जाए। ऐसा नहीं है कि यह बीमारी केवल बुजुर्ग महिलाओं में ही होती है। युवा महिलायें भी इसकी शिकार हो सकती हैं। इसलिए स्तन कैंसर की नियमित जांच करते रहना चाहिए। आप यह जांच स्वयं भी कर सकती हैं। यदि स्तन में किसी प्रकार की गांठ या असामान्यता नजर आए तो फौरन चिकित्सक से संपर्क करें।
महिलाओं में पेप स्मियर जांच
बच्चेदानी के कैंसर की पहचान और संभावना जांचने के लिए की जानेवाली यह सस्ती, सरल और पक्की जांच है। इसमें गर्भाशय में स्पैचुला डालकर नमूने के तौर पर सेल्स निकाले जाते हैं और उनकी जांच की जाती है। विवाह के तीन साल बाद से हर दो साल में यह जांच हर महिला को करवानी चाहिए।
मांसाहारी भोजन कम करें
इंटरनैशनल यूनियन अगेंस्ट कैंसर (यूआईसीसी) ने स्टडी में पाया कि ज्यादा वसा युक्त भोजन करने वाले लोगों में ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, कोलोन और मलाशय (रेक्टम) के कैंसर ज्यादा होते हैं। जर्मनी में 11 साल तक चली स्टडी में पाया गया कि वेज खाना खानेवाले लोगों को आम लोगों के मुकाबले कैंसर कम हुआ। कैंसर सबसे कम उन लोगों में हुआ, जिन्होंने 20 साल से नॉन-वेज नहीं खाया था। मीट को हजम करने में ज्यादा एंजाइम और ज्यादा वक्त लगता है। ज्यादा देर तक बिना पचा खाना पेट में एसिड और दूसरे जहरीले रसायन बनाते हैं, जिनसे कैंसर को बढ़ावा मिलता है।
वायरस और बैक्टीरिया से बचाव करें
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस से सर्वाइकल कैंसर हो सकता है। इससे बचने के उपाय हैं – एक ही पार्टनर से संबंध व सफाई का ध्यान रखना। पेट में अल्सर बनानेवाले हेलिकोबैक्टर पाइलोरी से पेट का कैंसर भी हो सकता है, इसलिए अल्सर का इलाज वक्त पर करवाना जरूरी है।
स्वस्थ आहार लें
पेड़-पौधों से बनीं रेशेदार चीजें जैसे फल, सब्जियां व अनाज खाइए। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट तत्व कैंसर पैदा करनेवाले रसायनों को नष्ट करने में अहम भूमिका अदा करते हैं। शाकाहार में मौजूद विविध विटामिन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और कैंसर सेल्स फल-फूल कर बीमारी नहीं पैदा कर पाते। पेजवेर्टिव और प्रोसेस्ड फूड कम खाएं। तेज आंच पर देर तक पकी चीजें कम खाएं।
तो, कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के लिए डॉक्टर आपको ये उपाय सुझा सकता है। इसके साथ ही आपको अपनी जीवनशैली में भी सुधार लाना चाहिए। व्यायाम को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनाइये। इससे आपकी सेहत अच्छी रहेगी और मांसपेशियों को शक्ति मिलेगी।
कैंसर के प्रकार ?
- एड्स से जुड़े कैंसर
- ध्वनिक न्यूरोमा (वेस्टिबुलर श्वानोमा)
- अधिवृक्क ट्यूमर
- गुदा कैंसर
- परिशिष्ट कैंसर
- बैसल सेल कर्सिनोमा
- सौम्य रक्त विकार
- पित्त नली का कैंसर (कोलैंगियोकार्सिनोमा)
- मूत्राशय कैंसर
- हड्डी का कैंसर
- मस्तिष्क मेटास्टेस
- ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन कैंसर
- स्तन कैंसर
- अज्ञात प्राथमिक उत्पत्ति का कैंसर
- सेंट्रल नर्वस सिस्टम (सीएनएस) लिंफोमा
- ग्रीवा कैंसर
- पेट का कैंसर
- कोलोरेक्टल कैंसर
- भोजन – नली का कैंसर
- पित्ताशय का कैंसर
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर
- जेनिटोरिनरी कैंसर
- गर्भावधि ट्रोफोब्लास्टिक रोग
- तंत्रिकाबंधार्बुद
- ग्राफ्ट-बनाम-होस्ट रोग (जीवीएचडी)
- स्त्री रोग संबंधी कैंसर
- सिर और गर्दन का कैंसर
- ऊतककोशिकता
- कपोसी सारकोमा
- किडनी कैंसर (रीनल सेल कैंसर)
- ल्यूकेमिया और अन्य रक्त कैंसर
- यकृत कैंसर
- लिवर मेटास्टेस (माध्यमिक लिवर कैंसर)
- फेफड़े का कैंसर
- लिंफोमा
- पुरुष स्तन कैंसर
- मेलेनोमा
- मर्केल सेल कार्सिनोमा
- मुंह (मुंह) का कैंसर
- एकाधिक मायलोमा
- मायलोइड्सप्लास्टिक सिंड्रोम (एमडीएस)
- न्यूरोफाइब्रोमैटॉसिस
- अंडाशयी कैंसर
- अग्न्याशय का कैंसर
- अग्नाशयी सिस्ट
- पेरिटोनियल और फुफ्फुस मेसोथेलियोमा कैंसर
- पिट्यूटरी ग्रंथि के ट्यूमर
- प्राथमिक मस्तिष्क ट्यूमर
- प्रोस्टेट कैंसर
- दुर्लभ रक्त विकार
- मलाशय का कैंसर
- लार ग्रंथि का कैंसर
- त्वचा कैंसर
- खोपड़ी आधार ट्यूमर
- नरम ऊतक सरकोमा
- स्पाइन ट्यूमर और स्पाइनल कैंसर
- त्वचा कोशिकाओं का कार्सिनोमा
- पेट (गैस्ट्रिक) कैंसर
- वृषण कैंसर (जर्म सेल ट्यूमर)
- गले का कैंसर
- थाइमोमा और अन्य थाइमिक ट्यूमर
- थायराइड कैंसर
- श्वासनली के रोग
- गर्भाशय (एंडोमेट्रियल) कैंसर
- गर्भाशय सारकोमा